अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम या फिर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक और भारत के ११ वें राष्ट्रपति थे (2002 -2007) । उन्हें हम मिसाइल मैन के तौर पर भी जानते हैं। डॉ. कलाम ना सिर्फ एक असाधारण वैज्ञानिक थे, बल्कि वो एक असाधारण और प्रेरणादायक इंसान भी थे। और आज हम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जिंदगी से जुड़े ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक प्रसंग और घटनाओं को जानेंगे और उन घटनाओं और प्रसंगों से नयी सीख, और अपने जीवन को सही तरीके से जीने की प्रेरणा लेंगे।

अगर एक इंसान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की कही हुई बातों से सीख सके, तो शायद उसे और कहीं से कोई प्रेरणा लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी। तमिलनाडु के छोटे से गावं के एक माध्यम वर्गीय परिवार से निकल कर, उनका राष्ट्रपति भवन तक का सफर कोई साधारन सफर नहीं था।
उनकी कही हुई एक एक प्रेरक बातें आपको सोचने पर मजबूर करती है – जब वो कहते हैं की “सूरज की तरह चमकना है तो, जलना सीखो”, या फिर उनका कहना की “आप सपना देखेंगे तभी तो सपने पूरे होंगे”, उनकी कहीं हुई बातें आज भी हम सब को प्रेरित करती है।
डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन की प्रेरक प्रसंग और घटनाए
और आज हम डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन के कुछ ऐसे ही प्रेरक प्रसंग और घटनाओं की चर्चा करने वाले हैं। डॉ. कलाम के जीवन के ये प्रेरक प्रसंग और घटनाएं आपकी जिंदगी बदल सकती है। दॉतों इंसान असाधारण तब नहीं बनता जब वो असाधारण काम करता है, अपितु इंसान असाधारण इसलिए बन पता है क्योंकि वो हर साधारण सा दिखने वाली बातों को भी गंभीरता से लेता है। और हम सबके प्यारे और चहेते डॉ. अब्दुल कलाम साहब की सख्सियत कुछ ऐसी ही थी। उनके जीवन की हर साधारण सी लगने वाली घटना, आपको काफी कुछ सीखा सकती है।
तो आइए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जिंदगी से जुड़ी ऐसे ही कुछ प्रेरक प्रसंग और घटनाओं के बारे में जानते हैं।
प्रसंग 1: अपने आप पास के लोगों का ख्याल रखना
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब उन दिनों DRDO के डायरेक्टर थे। उनके नेतृत्व में कुछ ६०-७० वैज्ञानिकों की एक टीम एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उन वैज्ञानिकों में से एक जूनियर साइंटिस्ट ने कलाम साहब से शाम को थोड़ा जल्दी जाने के लिए अनुमति मांगी, क्योंकि उनको अपने बच्चे को किसी प्रदर्शनी (exhibition) में लेके जाना था। जाहिर सी बात है डॉ. कलाम ने उन्हें जल्दी निकलने की अनुमति दे दी। अचानक शाम को ५:३० बजे जब उन्होंने पाया की वो जूनियर वैज्ञानिक काम में व्यस्त हैं। दरअसल काम के दवाब में उन्हें याद ही नहीं रहा की उनको जल्दी निकलना था। खैर शाम को दुखी मन से जब वो अपने घर गए तो पता चला की डॉ. कलाम खुद उनके परिवार को प्रदर्शनी (exhibition) घुमाने ले गए थे।
आप दुनिया में कितने ऐसे बॉस को जानते हैं जो अपने टीम या सहकर्मी के लिए इतना कुछ करता होगा? दरअसल अगर देखा जाए तो आधे से ज्यादा लोग अप्पने बॉस से परेशान रहते हैं। जाहिर सी बात है इसका प्रभाव उनके काम पर भी परता हगा। लेकिन जरा सोच कर देखिए की अगर बॉस इतना अच्छा होगा तो उस टीम के लोग अपने बॉस या कंपनी के लिए क्या कुछ नहीं करेंगे?
सीख: हमेशा अपने आस पास के लोग (दोस्त, सहकर्मी आदि) का ख्याल रखें।
प्रसंग 2: हर बारीकी पर ध्यान देना
ये उन दिनों की बात है जब डॉ. कलाम इरोड तमिल नाडु में एक इवेंट में गए थे। इवेंट के आयोजक थे सौभाग्य इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, जो की ग्राइंडर मशीन और इस तरह की चीज़ें बनाती थी। डॉ. कलाम को जब उन्होंने अपने ग्राइंडर दिखाए तो उन्होंने एक खरीदने की इच्छा जाहिर की। फिर क्या था कंपनी वालों ने तुरंत ही एक आधुनिक मिक्सर ग्राइंडर उनको गिफ्ट में दे दिया। पर उन्होंने मुफ्त गिफ्ट के तौर पर लेने से इंकार कर दिया, और कहा की वो तभी ये लेंगे अगर कंपनी वालों ने उनसे पेमेंट लिया। और आखिर में उन्हों 4850.00 रूपए का चेक उनको दे दीया।
आप सौभाग्य वालों ने उस चेक को फ्रेम करके अपने ऑफिस में लगा दिया – उन्हें लगा डॉ. कलाम के द्वारा दिया गया चेक है तो ये काफी बढियाँ यादगार तौफा है उनके लिए। उधर जब दो महीने बीत गए और चेक जमा नहीं हुवा, तो डॉ. कलाम के ऑफिस से उनके वहां फ़ोन आया और पुछा गया की चेक अब तक जमा क्यों नहीं हुआ? जब कंपनी वालों ने सच्चाई बताई तो उनसे कहा गया की या तो आप चेक जमा करें या फिर ग्राइंडर वापस ले लें।
सीख: मुफ्त का कुछ भी नहीं लेना, और हर छोटी से छोटी चीज को बारीकी से देखना। चेक काटने के बाद कौन ट्रैक रखता है आज कल की चेक क्लियर हुआ या नहीं? लेकिन वो रखते थे।
प्रसंग 3: दुनिया को वापस देना
दोस्तों हम में से बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सच मुच् में देना जानते हैं। बल्की मैं तो ये कहूंगा की हम में से ज्यादातर लोग सर लेना जानते हैं, और शायद यही तो समस्या भी है। हम सब हर समय पाने के होर में लगे हुए हैं, लेकिन कुछ देना नहीं चाहते। जबकि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे बिलकुल नहीं थे। राष्ट्रपति बनने के बाद, उनका पूरा पूरा ख्याल रखना भारत सरकार की जिम्मेदारी थी, जब वो राष्ट्रपति थे तब भी और रिटायर होने के बाद भी। इसलिए उनके पास जो कुछ भी निजी सम्पति और बचत राशि थी उन्होंने एक PURA (Providing Urban Amenities in Rural Areas) नाम के NGO को दे दिया। ये NGO ग्रामीण इलाके में, गरीबों की मदद करती है।
सीख: अगर आप की पास जरुरत से ज्यादा है तो आप दुनिया को वापस दीजिए।
प्रसंग 4: कुदरत के प्रति संवेदनशीलता
कहा जाता है की जब डॉ. कलाम DRDO के डायरेक्टर थे उन दिनों DRDO काम्प्लेक्स के बाउंड्री वाल पर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कांच के टुकड़े लगाने का प्रस्ताव आया। डॉ. कलाम ने उस प्रस्ताव को ये कह कर मंजूरी नहीं दी की चार-दीवारे पर अगर कांच के टुकड़े लगा दिए जाएंगे तो चिड़ियों को वहां बैठने में दिक्कत होगी, और चिड़ियाँ जब स्वभाववश वहां बैठेंगी तो वो घायल हो सकती हैं।
हम में से कितने लोग हैं जो इतना डिटेल में सोचते होंगे? क्या हम सच मच इतने संवेदनशील हैं ?
सीख: दूसरों के प्रति हमेशा संवेदनशील रहें फिर वो चाहे मनुस्य हों या फिर कोई जीव जंतु या पक्षी।
प्रसंग 5: आभार व्यक्त करना
कहा जाता है की डॉ. कलाम खुद अपने हाथों से बहुत सारे थैंक्यू नोट्स लिखते थे। एक बार एक व्यक्ति ने डॉ. कलाम की एक पेंटिंग बनाई और उस पेंटिंग को उन्होंने राष्ट्रपति भवन भेजा। डॉ. कालम को वो पेटिंग बेहद पसंद आई और फिर उन्होंने अपने हाथों से थैंक्यू नोट लिख कर उस व्यक्ति को धन्यवाद कहा।
दोस्तों ये जिंदगी सच मुच बेहतरीन बन जाती है जब हम जीवन में सही समय पर थैंक्यू और सॉरी बोलना जान लेते हैं। चाहे कोई कुछ भी कहे, लेकिन अपनी गलती होने पर माफ़ी मांगना और दूसरे जब आप के लिए कुछ करें तो उसका आभार प्रकट करना आपको साधारण से असाधारण बनाता हैं।
सीख: जिंदगी में जो भी आप के लिए कुछ करते हैं उनका धन्यवाद करें।
Conclusion
दोस्तों इस दुनिया में बहुत काम ऐसे लोग हैं जिनका पूरा का पूरा जीवन ही प्रेरणादायक है, और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम निश्चित तौर पर एक ऐसे ही व्यक्ति थे। भले आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कही एक एक बात हम सब को आज भी प्रेरित करती हैं, एक सच्चे, अच्छे और जिम्मेदार इंसान बनने के लिए।
मुझे निजी तौर पर डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन की वो प्रसंग बहुत प्रेरित करती है जिसमें वो अपना सब कुछ PURA को दे देते हैं। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन के जिन प्रेरक प्रसंग की चर्चा हमने यहाँ की है, इन में से सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला प्रसंग आपको कौन सा लगा, ये कमेंट करके जरूर बताएं।