बेटी तुम क्या हो?

दोस्तों बेटियां ना होतीं तो शायद कुछ भी ना होता। और आज की कविता जिसे श्री आदित्य मिश्रा जी ने लिखा है – ये समर्पित हैं भारत की सभी बहनों और बेटियों को।

तो आइये पढ़ते हैं इस बेहतरीन हिंदी कविता को।

बेटी तुम क्या हो? - Beti Tum Kya Ho - New Hindi Poem about Daughters by Aditya Mishra

बेटी तुम क्या हो?

ममता की प्रतिमा, मोह की छाया,
जीवन का आधार हो ,
जग की जननी, तुम एक परिवार हो,
कला की देवी,शक्ति का अवतार हो
पिता की पुत्री,माया की घरद्वार हो ।।

जन्म-भूमि की मान,पिया की अमानत,
ससुराल की अनमोल उपहार हो।
क्षमा ,दया तझमें,तप ,त्याग अपार,
तुम गुणों का भंडार हो ।।

सभ्यता का संरक्षक,संस्कृति के पालक
तुम ही तारणहार हो ।
काली कालजयी बादल, मेघों का गरजन,
इंद्र की चमत्कार हो ।।

सुख का सागर,दुख का उपचारक,
दुःख – सुख का प्यार हो।
हरी भरी धरती ,उन्नति का सहारा ,
जग की कंठहार हो ।।

बागों की मुस्कान ,फूलों की खुशबू
चमन की बहार हो
रात की चाँदनी, दिन का चमक
भविष्य की कर्णधार हो।।

नदी की नीर ,निर्मल विचार
तुम उसकी धारा हो
झरना की सरगम,सबल प्रबल भारती,
समय की पुकार हो।।

हिमालय की विशालता ,दृढ़ निश्चयी ,
एकता की संचार हो
खेतों का अन्न ,वृक्षों का फल,
प्रकृति का श्रृंगार हो।।

सूर्य की ज्योति ,अन्याय का दुश्मन
आदित्य की जलती अंगार हो।
वतन तुझसे ,वतन है तुम्हारा ,
जिस पर तुम्हारा अधिकार हो
जन -जन की सिरताज हो।

लेखक: श्री आदित्य मिश्रा

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